ऊर्धवा कोण सुचिता, मध्य कोण सुचिता और ताल कोण सुचिता
हस्तकोण सूचिता व्याख्यान और महत्वपूर्णता कथक के प्रारंभिक पाठ्यक्रम के लिए ।
कोण शब्द आया है कोना से । कोने का मतलब है किनारा । जब दो किनारे एक जगह आकर मिलते है उस जगह को हम उर्द्व हत्स कोण, मध्य हस्त कोण या तल हस्त कोण के नाम से जानते है । ऊर्द्व हस्त कोण ऊपर की ओर होता है । मध्य बीच में और तल नीचे की तरफ । इन हस्त मुद्राओं को करते समय दृष्टि का संतुलित होना और अंग के सात सात प्रयोग होना अत्यन्त आवश्यक है ।
चक्कर : हस्तक का प्रदर्शन शिष्याओं के साथ । Chakkars Demonstration with the Students Hastaks
गुरु वंदना व्याख्यान क्रम से (पाठ १) | कथक में गुरु वंदना श्लोक का विस्तृत विवरण|
अंग: कथक में खड़े होने का अन्दाज़
गुरु वंदना व्याख्यान क्रम से (पाठ २) | कथक में गुरु वंदना श्लोक का विस्तृत विवरण |
परिभाषा और नोटेशन - आलिंगन की आमद | Aalingan Ki Amad Definition and notation