पड़हन्त के परिभाषा और उसे लिखने का अंदाज़ | Padhant
गुरु पाली चन्द्रा हमें पड़हन्त के आकार जिससे कि उसे लिखना और पढना आसान हो जाये । ये कला इस पाठ में समझा रहीं है । ताल को लिखना उसकी लिपि को समझना और उसके आकार को अपने ज़ेहन में उतारना अत्यन्त आवश्यक है । यह वो पाठ है जहां की कथक को लिखित अंदाज़ में देखने की यात्रा आरंभ हो रही है ।
तत्कार (पैरों का काम) - तीनताल - एगुन का प्रदर्शन शिष्याओं के साथ
रंगमंच का टुकड़ा व्याख्यान क्रम से | Understanding Rangmanch Ka Tukra