गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु
गुरुर्देवो महेश्वर :
गुरु साक्षात् परं ब्रह्म
तस्मै श्री गुरवे नम : ।
गुरु शब्द का सही अर्थ है वो जो अंधेरे को मिटाये । ये दो शब्दों से बना एक शब्द है । गु याने की अन्धेरा और रु मतलब हटाने वाला । अर्थात अंधेरे को हटाने वाला हमारा गुरु है । हमें अपने गुरु में त्रिमूर्ति का आकार दिखाई देता है । जो तीन भगवानों का स्वरूप है । ब्रह्मा, विष्णु और शिव ।
हमारे लिए हमारा गुरु भगवान ब्रह्म का आकार है । जो हमें विद्या रूपी प्रसाद देता है ।
हमारा गुरु विष्णु का स्वरूप भी है । वह हमें बनाई गई चीज़ों को सुरक्षित रखने का ग्यान और तरीका प्रदान करता है ।
गुरु शिव का रूप भी है । वह हमें बुराई को हटाने का तरीका और उपाय प्रदान करता है । गुरु हमें अग्यान हटाने के लिए विभिन्न प्रकार के रास्ते दिखाता है । इसलिए हमारा गुरु हमारे लिए वो अपार शक्ति है जो बुराई और अच्छाई, गलत और सही, इन सभी चीज़ें का संपूर्ण ग्यान देने का केन्द्र है । ऐसे गुरुजनों को शिष्य अपने तन मन से पूजनीय मानते हुए अपने श्रद्धा अर्पित करते हैं ।
समतल हस्तक व्याख्यान और महत्वपूर्णता कथक के प्रारंभिक स्तर के लिए ।
चाल का प्रदर्शन - संगीत के साथ |
ॐकारं बिंदुसंयुक्तं - शोलक और उसके मायने | Omkaram Bindu Samyuktam Sloka Meaning
गुरु वंदना शोलक और उसके मायने
पड़हन्त पर प्रदर्शन कथक के प्रारंभिक स्तर के लिए | Padhant - Performance