तत्कार (पैरों का काम) - तीनताल - दुगुन का व्याख्यान और प्रदर्शन
गुरु पाली चन्द्रा अपने शिष्य और शिष्याओं को दुगुन के आकार के बारे में इस हफ्ते हमें सिखायेंगे । दुगुन का अर्थ है दो बोल एक मात्रा में । दोनों बोलों को जब एक मात्रा में बैठाते हे तो उसका स्वरूप एगुन से बढ़ता हुआ नज़र आता है । दुगुन के स्वरूप को समझना और उसका रियाज़ करना एगुन के ठीक बाद अत्यन्त आवश्यक है । इसको करने से आपकी समझ, जानकारी, लय और ताल पर नियन्त्रण और तत्कार के बोलों में सफाई, सभी पर गेहरा असर पडेगा ।
नाट्य क्रम: श्लोक और उसका अर्थ | Natya Kramaha: Shloka and Meaning | कथक के प्रारंभिक स्तर केलिए
व्याप्ति हस्तक उसकी महत्वपूर्णता व्याख्यान और कथक में इस्तमाल प्रारंभिक पाठ्यक्रम के लिए ।
रंगमंच का टुकड़ा परिचय | Rangmanch Ka Tukra Introduction in Kathak